4-अगर आपको पता नहीं है तो यह आर्टिकल आपके लिए है। आपलोगों में से कई लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी सत्संग या में जरूर गए होंगे। मैं इस जानकारी में बताना चाहता हूँ कि यदि कोई आदमी मांस-मटन या अन्य प्रकार का कोई भी मांस खाता है, तो आप एक कथा वाचक के अत्यधिक समीप न बैठें, क्योंकि आपको नहीं पता। तो सुनो, एक बार एक आदमी किसी धार्मिक कथा के प्रवचन सुनने गया और वह आदमी कथा वाचक के सामने बैठ गया और पण्डित जी कई प्रकार की धार्मिक ज्ञान की बातें लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं, और अचानकपंडित जी के मन में पता नहीं क्या विचार आते हैं। पंडित जी एक आदमी से बोलते हैं जो गले में लाल रंग का कपड़ा और बढ़ी-बढ़ी दाढ़ी रखे हुए था, जो दिखावे से लग रहा मानो कोई ज्ञानी पुरुष हों। उस आदमी ने कभी भी यह नहीं सोचा होगा कि ‘स्वामी जी मुझसे कुछ पूछ बैठेंगे’। स्वामी जी उस आदमी को मीठी-मीठी बातों में उलझा कर पूछने लगते हैं कि ‘साहब, आपने कभी अंडा खाया है’। वो आदमी अपनी गर्दन हिला कर बोलता है, ‘हाँ, पंडित जी’। और स्वामी जी फिर से पूछते हैं, ‘और मुर्गा खाया है?’। फिर से ‘हां’ में ज़वाब देता है। और पंडित जी फिर से पूछते हैं, ‘और आपने बकरा खाया है?’।आदमी शर्माते हुए बोलता है, ‘जी, पंडित जी, खाया हैं’। और आचार्य जी फिर बोल पढ़े की, ‘फिर तो आपने आदमी का मांस भी खाया होगा’। वो आदमी आचार्य जी का मुँह देखता और बोलता है कि ‘नहीं, पंडित जी, आप यह क्या बोल रहे, आप में आदमी क्यूँ खाने लगा’। और सामने से आचार्य जी बोलते हैं, ‘भाई, जब आप अंडा खाते हो, मुर्गी खाते हो, बकरा खाते हो, तो आदमी क्यों नहीं खाते, वो भी खाया करो। जब तुम कई प्रकार के माशूम जानवरों को मार के उनका सेवन करते हो, तो तुम्हारा हक़ है खाना करो।’इतना सुनते ही आदमी शर्म से पानी-पानी हो गया और जितने भी लोग वहाँ गए जो इस प्रकार का मांस-मटन खाते थे। पंडित जी ने सबकी आँखें खोलने के लिए जवाब दिया, कि ‘मैंने आप लोगों को शर्मिंदा होने के लिए ये सब नहीं बोला, मैंने तो यह समझाने के लिए इन भाई साहब से पूछा कि अगर आप सभी में से कोई से सीधे सवाल पूछता, तो कोई ज़वाब नहीं देता, इसलिए मैंने भाई साहब को निशाने पर लिया। और हा, आप सभी को यह जानकारी देना चाहता हूँ, कि इस तरह के मांस-मटन मत खाओ, क्यूंकि आपको अगर कोई मार के खाये, तो कैसा लगेगा। और इन सब बातों का जवाब आप लोगों को ऊपर वाले भगवान को कैसे दोगे। इसलिए मैं कहता हूँ, कि आप लोग इस प्रकार के सामग्री का सेवन बंद कर दे। निष्कर्ष- भगवान की दुनियां में, अच्छे काम करो। जैसा आपकरोगे, वैसा ही फल पाओगे। इसलिए कहा जाता है कि नैकी करो और आगे बढ़ो। लोगों का यही दस्तूर होना चाहिए।किसी सज्जन व्यक्ति की बातें कड़वी लग सकती हैं।